पर्यटन स्थल सरोधा दादर

  • कवर्धा जिला में स्थित है।
  • सतपुड़ा रेन्ज के मैकल पर्वत श्रेणी के जंगल और पहाड़ियों में
  • यह स्थल राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली के साथ-साथ भोरमदेव अभ्यारण से भी लगा हुआ है।
  • हाल में सरकार के द्वारा यहाँ रिसॉर्ट का निर्माण किया गया है। 
  • यहां आस-पास बहुत ही मनोहारी प्राकृतिक स्थल है, इनमें चिल्फी घाटी का अत्यंत मनोहारी दृश्य भी शामिल है।
  • सरोदा दादर में विदेशी, स्वदेशी और घरेलू पर्यटकों को ठहराने के लिए सुंदर काटेज बनाए गए हैं।
  • यह क्षेत्र बैगा जनजाति के रिहायशी इलाके में स्थित हैं, जहां पर बैगा जनजातियों के रहन-सहन, खान-पान एवं संस्कृति को जानने पर्यटकों के लिए बेहतरीन अवसर होता है।
  • सरोधा दादर ग्राम में छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के द्वारा लगभग 11 एकड़ की भूमि पर एक बैगा एथनिक रिसार्ट का निर्माण कराया गया है। इसकी लागत 13 करोड़ रुपये है।
  • इस रिसार्ट में पर्यटकों के रुकने के लिए इको लाग हट्स (खुडन कोटेजेस) और खानपान के लिए ग्रामीण परिवेश में कैफेटेरिया बनाया गया है।
  • यहां स्थानीय ग्रामीण शैली में 10 आर्टिजन हट्स, एक हस्तशिल्प विक्रय सेंटर, स्थानीय जनजातियों के दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाली वस्तुएं, औजार आदि के प्रदर्शन के लिए एक इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाया गया है। सांस्कृतिक कायक्रमों के लिए मुक्ताकाश मंच का भी निर्माण किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त एडवेंचर टूरिज्म के लिए आने वाले पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए टेंट प्लेटफार्म भी बनाए गए हैं। पर्यटक यहां अपने टेंट लगाकर रुक सकते हैं। पर्यटकों और बच्चों के लिए एडवेंचर उपकरण भी लगाए गए हैं।
कबीरधाम जिले में पर्यटन की दृष्टि से ऐतिहासिक, पुरातत्विक, धर्मिक एवं पर्यटन महत्व के स्थल भोरमदेव मंदिर, मड़वा महल, छेरकी मंदिर, चरण तीरथ, पुरातव महत्व के स्थल पचराही, बकेला. प्राकृतिक सौदर्य से अभिभूत प्रदेश की सबसे लम्बी चिल्फी घाटी जिसे नागमोरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिये क्योंकि इस घाटी का आकार नाग (सर्प) के सामान है। भोरमदेव अभ्यारण, हिल स्टेशन (चार) है जहाँ से मैकल पर्वत माला की श्रृंखला देखी जा सकती है। इसके अलावा सहसपुर लोहारा में ऐतिहासिक बावली कुंआ और रामचुआ मन्दिर स्थित है, यहां ऐसी मान्यता है नर्मदा नदी के जल का दर्शन होता है। डोंगरिया का जालेश्वर महादेव, जिले मे पांच मध्यम जलाशय है जिसमें सरोधा डेम, सुतियापाठ जलाशय, क्षीरपानी जलाशय, कर्रानाला बैराज और बैहराखार जलाशय है।

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