छतीसगढ़ में कोरोना काल में शिक्षा के क्षेत्र में किये जा रहे अभिनव प्रयोग

सुदूर वनांचल में प्रिंट रिंच से शिक्षा

दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले के गांव-गांव में प्रिंट रिंच वातावरण तैयार कर हर गली मोहल्ले में वाल पेंटिंग कर शिक्षा की मुहिम चलाई जा रही है। जो कोरोना काल में बच्चों को अपनी पढ़ाई जारी रखने में मददगार हो रही है।

इस पद्धति में गांव में घरों के बाहरी दीवारों पर शिक्षाप्रद गीत, कथा चित्र, वर्णमाला, गणितीय संख्या एवं पहेलियां आदि को रोचक ढंग से उत्कीर्ण किया जाता है, जिससे बच्चे अपने घर के पास खेलते-खेलते ही दीवार देखकर शिक्षा प्राप्त करते हैं।

सजग तथा चकमक अभियान

कोरोनाकाल में आंगनबाड़ी के बच्चों के समग्र विकास के लिए महिला बाल विकास विभाग के साथ समाजसेवी संस्था सेंटर फॉर लर्निग रिसोसेंस द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से तैयार किए गए ‘चकमक अभियान‘ और ‘सजग कार्यक्रम‘ का शुभारंभ अप्रैल 2020 को किया गया था।
लॉकडाउन के समय जब आंगनबाड़ी बंद है, बच्चों के रचनात्मक विकास के लिए ’चकमक अभियान’ के तहत बच्चों को घरों में ही पारिवारिक सदस्यों के साथ दादा-दादी, नाना-नानी के साथ रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रख कर सिखाने का पहल किया जा रहा  है। पारिवारिक सदस्यों को बच्चों के साथ आनंदपूर्ण गतिविधियों के माध्यम से सीखने पर बल दिया जा रहा है।
वहीं बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और समग्र विकास की प्रक्रिया को घर तक बढ़ावा देने के उद्देश्य से ’सजग कार्यक्रमकी शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम के तहत अभिभावक एवं बच्चों के लिए छोटे-छोटे खेल, ढेर सारी बातचीत और प्यार दुलार का वातावरण कैसे बना सकते हैं, इस संबंध में पालकों को जानकारी दी जा रही है।
लॉकडाउन के चलते सभी संस्थाएं बंद है। ऐसी स्थिति में घर के वातावरण में बच्चों को नई-नई गतिविधियां सिखाने के लिए माता-पिता को ऑडियो क्लिप के माध्यम ट्रेनिंग दिया जा रहा है।  

पढ़ई तुंहर दुआर

विगत वर्ष 07 अप्रैल 2020 को छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना पढ़ई तुंहर दुआर का शुभारंभ किया गया।

उद्देश्य– कोविड-19 संक्रमण के चलते लॉकडाउन की स्थिति में अस्थाई रूप से बंद पड़े स्कूलों के बच्चों को पढाई से जोड़े रखने तथा सीखने की प्रक्रिया को निर्बाध जारी रखने, तथा यह सुनिश्चित करने कि विद्यालय बंद होने के कारण बच्चों के सीखने के स्तर में गिरावट नही आएं व ड्रापऑउट दर न बढ़ें

एससीईआरटी एवं सीजीबीएसई के द्वारा सीजीस्कूलडॉटइन (cgschool.in) पोर्टल का निर्माण कर कक्षा 1 से कक्षा 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए 46,639 वर्चुअल स्कूल का सृजन कर इन्टरएक्टिव ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था की गई है।

इस कार्यक्रम के तहत शिक्षकों के द्वारा अध्ययन सामग्री, होमवर्क, आंकलन व उपचारात्मक शिक्षण सामग्री आदि वर्चुअल स्कूल के माध्यम से विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाता है। इस प्लेटफार्म के माध्यम से शिक्षक न केवल विषयवस्तु के संबंध में विद्यार्थियों के शंका का समाधान करने में सक्षम हुए है, बल्कि दिए गए होमवर्क को अपलोड करने की सुविधा से विद्यार्थियों का आंकलन करना संभव हो सका। इसमें शिक्षकों के द्वारा सीखने के प्रतिफल के आधार पर 50 हजार प्रश्नों को तैयार कर क्वीज भी अपलोड किया गया है।

प्रदेश के वनांचल सुदूरवर्ती व दुर्गम क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण ऐसे क्षेत्र के बच्चों की समस्या को दूर करने के लिए विभाग द्वारा डिजीटल कंटेंट का निर्माण किया गया, ताकि ऑफलाइन एनरॉइड एप के माध्यम से बच्चे इन अध्ययन सामाग्रियों को देखने, सुनने व सीखने में सक्षम हो सके। शिक्षकों के द्वारा इस ऑफलाइन एनरॉइड एप में उपलब्ध ई-बुक्स, वीडियोज, आडियोज, क्विजेज एवं शैक्षिक अध्ययन सामाग्रियों का ब्लूटूथ के माध्यम से बच्चों के साथ साझा किया जाता है। गुगल प्ले स्टोर में उपलब्ध सीजीस्कूल एप को डॉउनलोड करके भी इन अध्ययन सामाग्रियों को प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा गुगल प्ले स्टोर में बुल्टू के बोल एप में हर विषय के ऑडियों कंटेंट भी है जिसे किसी भी समय सुना जा सकता है।

इस प्रकार यह पोर्टल कोरोनाकाल में शिक्षा व्यवस्था को सतत जारी रखने तथा बच्चों को जोड़े रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, साथ ही इस कार्यक्रम को और अधिक प्रभावशाली बनने में राज्य के शिक्षकों की भी महती भूमिका रही है।

बुलटू के बोल- गूगल प्ले स्टोर में उपलब्ध एक शैक्षिक मोबाईल एप है, जो एक बार स्मार्टफोन में डाउनलोड और इंस्टॉल कर लेने के बाद बिना इंटरनेट के भी ऑडियो फाइल के उपयोग और साझाकरण में महत्वपूर्ण है। कीपैड वाले मोबाईल फोन में भी ऑडियो को सुना जा सकता ह
पढ़ई तुंहर पारा (पारा-मोहल्ला क्लास)- कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल न खुल पाने की स्थिति में बच्चों को पारा-मोहल्ला में ही शिक्षकों के द्वारा पढ़ाया जा रहा है। 
लाउडस्पीकर क्लास- इनका संचालन पंचायत के सहयोग से किया जा रहा है, इसमें गाँव के गली मोहल्ले में लाउडस्पीकर लगाकर पंचायत भवन से शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाता जिसे  बच्चे लाउडस्पीकर के माध्यम से सुनते है एवं घर पर रहकर ही पढ़ाई कर पाने मे सक्षम हुए हैं।  

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *