· परियोजना की अनुमानित लागत- 22,655 करोड़ रुपये · संभाव्य जल विद्युत उत्पादन क्षमता- 300 मेगावाट · सिंचित क्षेत्र - 3,66,580 हेक्टेयर · इस परियोजना से माओवाद से प्रभावित दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा तीन जिलों के लोग लाभान्वित होंगे।
1979 में रखी गई थी इस प्रोजेक्ट की आधारशिला
जगदलपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर इंद्रावती नदी पर पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 1979 में पावर प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी।
विगत 40 वर्षों से लंबित बोधघाट परियोजना जिसे पहले में हाईड्रल प्रोजेक्ट के रूप में प्रस्तावित किया गया था, वर्तमान सरकार ने जन भावनाओं का ध्यान में रखते हुए इसे अब सिंचाई परियोजना के रूप में परिवर्तित कर दिया है।
इस परियोजना के निर्माण से बस्तर की जीवन रेखा कही जाने वाली इंद्रावती नदी के जल का उपयोग बस्तर अंचल में सिंचाई के लिए होने लगेगा। इससे 3 लाख 66 हजार 580 हेक्टेयर में सिंचाई और लगभग 300 मेगावाट विद्युत उत्पादन होगा, जो बस्तर की खुशहाली और समृद्धि का नया इतिहास लिखेगा।
प्रस्तावित बोधघाट सिंचाई परियोजना की कुल लागत 22 हजार 655 करोड़ रुपए है। इस परियोजना के तहत लगभग 145 km. लंबाई की दायीं तट नहर बनेगी, जो कि राज्य के किसी भी परियोजना में अब तक की सबसे बड़ी नहर होगी। इसके साथ ही 250 से अधिक शाखा नहरों का निर्माण किया जाएगा।
केंद्रीय जल आयोग ने 40 वर्षो से लंबित इस प्रोजेक्ट को फिजिबल मानते हुए अपनी मंजूरी दे दी है। बोधघाट बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना की मंजूरी मिलते ही इसके सर्वेक्षण और डीपीआर को तैयार कराने का काम शुरू कर दिया गया है। तथा वैपकोस लिमिटेड (WAPCOS Limited ) को परियोजना में शामिल मंत्रालयों से सर्वेक्षण, अनुसंधान और आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बोधघाट परियोजना के पक्ष में तर्क
1) बस्तर के वन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा 0 से 7 प्रतिशत तक ही है। आदिवासियों के पास जमीन है लेकिन बिना पानी के खेती उनके लिए अलाभकारी है। इस परियोजना से लगभग 3.66 लाख हेक्टेयर भू-भाग के लिए सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध हो सकेगा।
2) क्षेत्र में पेय जल संकट की समस्या को दूर किया जा सकेगा, भूजल स्तर का संवर्द्धन हो सकेगा।
3) विद्युत उत्पादन (लगभग 300 मेगावाट) की दृष्टिकोण से भी यह परियोजना लाभकारी है। इसके क्रियान्वयन से ऊर्जा सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सकेगा।
4) सुदूरवर्ती वन एवं पहाड़ी क्षेत्र में विकास की प्रक्रिया को बल मिलेगा। लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।
5) बांध निर्माण करने से बने झील में नौकायन, तैराकी, मत्स्य पालन इत्यादि गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकता हैं। यहाँ रिज़ॉर्ट का निर्माण करके पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है।
बोधघाट परियोजना के विपक्ष में तर्क
1) ऐक्टिविस्ट इस परियोजना से आदिवासी समुदायों के होने वाले विस्थापन तथा उनको दिए जाने वाले मुआवजे को लेकर मुद्दे उठा रहे हैं, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन जैसी कई संगठनों ने परियोजना की व्यवहार्यता पर सवाल उठाया है।
2) बस्तर संविधान के पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के रूप में सूचीबद्ध है तथा संविधान के तहत विशेष संरक्षण प्राप्त है। इसलिए स्थानीय आदिवासियों को भरोसे में लिए बगैर इस परियोजना को ऊपरी स्तर से लागू करना उचित नहीं होगा।
3) पर्यावरणविदों ने भी सरकार के सर्वेक्षण संचालन के तरीके और इंद्रावती नदी पर इस परियोजना के निर्माण से क्षेत्र के जैव विविधता तथा इको सिस्टम पर पड़ने वाले संभावित दुष्परिणाम को लेकर चिंता जताई है।
4) यह परियोजना इंद्रावती टाइगर रिजर्व, भैरमगढ़ अभयारण्य और भारतीय वन भैंसों के प्राकृतिक आवासों की पारिस्थितिकी को भी प्रभावित करेगी।
5) व्यापक क्षेत्र जिसमे लगभग 42 ग्राम, वन भूमि, उपजाऊ कृषि भूमि, सरकारी भूमि आदि शामिल हैं डुबान क्षेत्र में परिवर्तित हो जाएंगे।
मुख्य परीक्षा हेतु संभावित प्रश्न
प्रश्न० छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित बोधघाट परियोजना के संभावित लाभ बताइए? (100 शब्दों में / 8 अंक)
प्रश्न० बोधघाट परियोजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ? (30 शब्दों में / 2 अंक)